Dr. Bhimrao Ambedkar / DrBhimrao Ambedkar
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हिंदू समाज-संगठन में क्या विलक्षणता है? साधारण हिंदू, जिसे शोधकर्ताओं के शोध की जानकारी नहीं है, वह तो यही कहेगा कि उसके समाज-संगठन में तो कुछ भी ऐसा नहीं है, जिसे विलक्षण, असाधारण या अस्वाभाविक कहा जा सके। यह स्वाभाविक भी है। जो लोग अकेलेपन में अपना जीवन बिताते हैं, उन्हें अपने तौर-तरीकों की विलक्षणता के बारे में जानकारी ही नहीं होती है। लोग पीढ़ी-दर-पीढ़ी चले जा रहे हैं, लेकिन जो हिंदू नहीं हैं, बाहर वाले हैं, उन्हें हिंदू समाज-संगठन कैसा लगता है? क्या उन्हें वह सहज एवं स्वाभाविक लगा? ऐसे ही अनेकों जिज्ञासाओं का समाधान प्रस्तुत पुस्तक में समाहित किया गया है।