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हिंदी साहित्य में मुंशी प्रेमचंद एक ऐसे साहित्यकार हैं जिन्होंने समाज के हर वर्ग की संवेदनाओं को अपनी लेखनी से स्वर दिया। यद्यपि वे मुख्यतः यथार्थवादी कथा साहित्य के लिए प्रसिद्ध हैं, किंतु उन्होंने बच्चों के लिए भी अत्यंत मूल्यवान और शिक्षाप्रद कहानियाँ लिखीं। उनकी बाल कहानियाँ न केवल मनोरंजन प्रदान करती हैं, बल्कि बच्चों के नैतिक, सामाजिक और बौद्धिक विकास में भी सहायक सिद्ध होती हैं। प्रेमचंद की बाल कहानियाँ जीवन की सरलता, सत्य, परिश्रम, करुणा और ईमानदारी जैसे मूल्यों को सहज ढंग से प्रस्तुत करती हैं। इन कहानियों में बाल मनोविज्ञान की गहरी समझ दिखाई देती है। चाहे वह ’ईदगाह’ का हमीद हो, जो अपनी मासूम इच्छाओं का बलिदान कर दादी के लिए चिमटा खरीदता है, या ’पंच परमेश्वर’ का झूमन, जो न्याय के लिए अपने आत्मीय संबंधों से ऊपर उठता है-प्रेमचंद के पात्र बच्चों को सच्चे जीवन मूल्य सिखाते हैं। उनकी भाषा सरल, प्रवाहमयी और प्रभावशाली है, जिससे बच्चा सहज ही कहानी से जुड़ जाता है। प्रेमचंद की कहानियाँ बच्चों में सहानुभूति, नैतिकता और सामाजिक चेतना को जागृत करने का कार्य करती हैं। आज जब बच्चों के साहित्य में व्यावसायिकता हावी है, प्रेमचंद की बाल कहानियाँ एक आदर्श प्रस्तुत करती हैं-जो न केवल पठनीय हैं, बल्कि शिक्षाप्रद भी हैं। इसलिए, बाल साहित्य के क्षेल में प्रेमचंद का योगदान चिरस्मरणीय और अनुकरणीय है।