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लक्ष्मी- प्रभु! यह सुंदर गीत गाते हुए कौन आ रहा है?नारायण- आवाज से तो नारद लग रहा है, पर दूर होने के कारण कुछ समझ नहीं आ रहा है, अरे नारद ही तो है, पास आया तो समझ आया।नारद- (प्रवेश करके) प्रणाम भगवन्, प्रणाम माते।नारायण- आओ नारद कहो कैसे दर्शन दिये।नारद- प्रभु धरती पर माता लक्ष्मी की पूजा चल रही है, भक्त उन्हें धरती पर बुला रहे हैं।लक्ष्मी- कैसी पूजा नारद।नारद- माते! आप बैकुंठ में आकर भूल ही जाती हैं कि आज आपका जन्मदिन है।नारायण- आज दीवाली है?नारद- जी प्रभु।लक्ष्मी- तब तो मुझे धरती पर जाना होगा।नारायण- कब तक आओगी?लक्ष्मी- यह तो देखकर ही पता चलेगा, यदि वहाँ अभी भी सही से साफ सफाई नहीं होगी तो मैं पिछली साल की तरह ही लौट आऊँगी।नारायण- मुझे कलि पर विश्वास है, वह मुझे निराश नहीं करेगा, तुम जल्दी ही वापिस आ जाओगी।लक्ष्मी- यह तो पहुँच कर तय कर पाऊँगी। चलिए नारद जी।(प्रस्थान)