जिस व्यक्ति को ध्यान साधना हो उसे मरना सीखना होता है। मरते सारे लोग हैं, लेकिन सीख कर बहुत कम लोग मरते हैं। और जो मरने को सीख लेते हैं, अदभुत होता है, उन्हें घटना घटती है। जो मरने को सीख लेते हैं, फिर मृत्यु उनकी नहीं होती। जो अपने हाथ से मृत्यु को सीख लेता है, वह जान जाता है कि उसके भीतर कोई तत्व है जिसकी कोई मृत्यु नहीं है। और जो अपने हाथ से मृत्यु को नहीं साधता, उसे मृत्यु बार-बार घटित होती है और अमृत से वह परिचित नहीं हो पाता।ओशोपुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदुः* अंतर्दृष्टि की पतवार का क्या अर्थ है? * ध्यान क्या है?* जीवन-परिवर्तन के सूत्र* मनुष्य आनंद को कैसे खोजे?